दर्जी समय पर ब्लाउज नहीं दे सका, कंज्यूमर कोर्ट ने ठोका 7,000 रुपये का जुर्माना : जानें पूरा मामला
शादियों के मौसम में लोग पहले से ही कपड़े सिलना और ख़रीदना शुरू कर देते हैं। ज़्यादातर मामलों में दर्जी समय पर कपड़े पहुँचा देते हैं, लेकिन कई बार वे समय पर कपड़े नहीं पहुँचा पाते, जिससे ग्राहक असमंजस में पड़ जाते हैं और उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचता। जब कपड़े समय पर नहीं सिले जाते, तो लोग अक्सर दर्जी से बहस करते हैं, अक्सर उसे डाँटते भी हैं। लेकिन अहमदाबाद की एक महिला ने ऐसा नहीं किया। वह अदालत गई और अदालत ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया।
महिला अपनी पसंद की साड़ी नहीं पहन सकी
अहमदाबाद में एक महिला ने अपने परिवार की शादी की तैयारी काफी पहले से शुरू कर दी थी। उसने कपड़े भी सिलवाने के लिए ऑर्डर कर दिए थे, लेकिन दर्जी उन्हें समय पर तैयार नहीं कर पाया। उसे 24 दिसंबर को होने वाली शादी में साड़ी पहननी थी, लेकिन दर्जी ब्लाउज नहीं सिल पाया, इसलिए वह अपनी पसंद की साड़ी नहीं पहन सकी। इसके बाद वह अदालत गई और अदालत ने दर्जी पर जुर्माना लगा दिया।
ब्लाउज न मिलने से महिला को मानसिक परेशानी
महिला ने 4,395 रुपये एडवांस देकर सारी खरीदारी भी कर ली थी। लेकिन शादी से दस दिन पहले उसे पता चला कि ब्लाउज़ पूरा नहीं सिला है। दर्जी ने वादा किया था कि शादी से पहले उसे पूरा कर दिया जाएगा, फिर भी वह अधूरा ही रहा। नतीजतन, उसे दूसरी साड़ी पहननी पड़ी, जिससे उसे मानसिक परेशानी हुई।
महिला ने दर्जी को सबक सिखाने की ठानी और मामला अदालत में ले गई। अहमदाबाद (अतिरिक्त) उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने दर्जी द्वारा समय पर ब्लाउज न सिलने से हुए नुकसान को स्वीकार किया और कहा कि इससे महिला को मानसिक कष्ट भी हुआ। अदालत ने दर्जी को अग्रिम राशि 4,395 रुपये और उस पर 7% ब्याज लौटाने का आदेश दिया। अदालत ने मुकदमे की पूरी लागत सहित 7,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया क्योंकि दर्जी अदालत में पेश नहीं हुआ।