सूरत में आज मनाया ताप्ती जन्मोत्सव, यहां जानिए 7 रोचक तथ्य

हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ताप्ती जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन ताप्ती नदी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यह एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो ताप्ती नदी के उद्गम का उत्सव मनाता है. मान्यताओं के अनुसार, ताप्ती नदी सूर्य देव की पुत्री हैं और शनि देव की बहन. आपको बता दें कि ताप्ती जन्मोत्सव मध्य प्रदेश के बैतुल जिले के मुल्ताई शहर में विशेष रूप से मनाया जाता है, क्योंकि इसे ही ताप्ती नदी का उद्गम स्थल माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल ताप्ती नदी जन्मोत्सव कब है.
कब है तापी जन्मोत्सव
इस साल ताप्ती जन्मोत्सव 2 जुलाई दिन बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन सुबह से ही धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो जाएंगे. जिसके अंतर्गत मां का अभिषेक, श्रृंगार और विशेष पूजन और आरती की जाएगी.
आपको बता दें कि इस दिन पवित्र नगरी की शोभा देखते ही बनेगी, जिसके लिए ताप्ती भक्त, सामाजिक एवं धार्मिक संगठन जोर शोर से तैयारियां कर रहा है. पिछले साल की तरह इस साल भी मां ताप्ती को 51 चुनरी चढ़ाई जाएगी. इस साल 108 थालियों से 7 बजे महाआरती की जाएगी. प्रचार-प्रसार के माध्यम से गांव-गांव में जन्मोत्सव में शामिल होने के आमंत्रण दिया जा रहा है. साथ ही ग्रामीणों को जलस्त्रोतों को सहेजने का भी संदेश दिया जा रहा है.
आओ जानते हैं इस नदी के 7 तथ्य
1. ताप्ती का उद्गम : ताप्ती नदी मध्य भारत की एक
नदी है जिसका उद्गम बैतूल जिले के सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में स्थित मुलताई तहसील के एक 'नादर कुंड' से होता है। मुलताई को पहले मूलतापी कहते थे जिससे ताप्ती नदी के नाम का जन्म हुआ। विष्णु पुराण के अनुसार ताप्ती का उद्गम ऋष्य पर्वत से माना गया है।
2. कितनी लंबी है यह नदी ताप्ती नदी की कुल
लंबाई लगभग 724 किमी है। नदी क्षेत्र को भूगर्भीय रूप से स्थिर क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, जिसकी औसत ऊंचाई 300 मीटर और 1,800 मीटर के बीच है। यह 65,300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपवाहित करती है।
3. ताप्ती नदी की सहायक नदियां ताप्ती नदी की वैसे तो कई सहायक नदियां हैं परंतु उसमें से प्रमुख है-
पूर्णा नदी, गिरना नदी, पंजारा नदी, वाघुर नदी, बोरी नदी और अनर नदी।
4. खंभात की खाड़ी में जाकर मिलती है: यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई खंभात की
खाड़ी में जाकर समुद्र में मिल जाती है। सूरत के सवालीन बंदरगाह इसी नदी के मुहाने पर है। नदी के बहाव के रास्ते में मध्यप्रदेश में मुलताई, नेपनगर, बैतूल और बुरहानपुर, महाराष्ट्र में भुसावल, नंदुरबार, नासिक, जलग्राम, धुले, अमरावती, अकोला, बुलढाना, वासिम और गुजरात में सूरत और सोनगढ़ शामिल हैं। ताप्ती नदी सतपुड़ा की पहाड़ियों एवं चिखलदरा की घाटियों से होते हुए महाखड्डू में बहती है। 201 किलोमीटर अपने मुख्य जलस्रोत से बहने के बाद ताप्ती पूर्वी निमाड़ में पहुंचती है। पूर्वी निमाड़ में भी 48 किलोमीटर संकरी घाटियों से गुजरती हुई ताप्ती 242 किलोमीटर का संकरा रास्ता खानदेश का तय करने के बाद 129 किलोमीटर पहाड़ी जंगली रास्तों से कच्छ क्षेत्र में प्रवेश करती है। फिर खंभात की खाली से जा मिलती है।
5. ताप्ती नदी का धार्मिक महत्व:
पौराणिक ग्रंथों में ताप्ती नदी को सूर्यदेव की बेटी माना गया है। कहते हैं कि सूर्यदेव ने अपनी प्रचंड गर्मी से खुद को बचाने के लिए ताप्ती नदी को जन्म दिया था। तापी पुराण अनुसार किसी भी व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति दिलाई जा सकती है, यदि वह गंगा में स्नान करता है, नर्मदा को निहारता है और ताप्ती को याद करता है। ताप्ती नदी का महाभारत काल में भी उल्लेख मिलता है। ताप्ती नदी की महिमा की जानकारी स्कंद पुराण में मिलती है।
6. सिंचाई में उपयोग:
ताप्ती नदी के पानी का उपयोग आमतौर पर सिंचाई के लिए नहीं किया जाता है।
7. कुंड और जलधारा:
ताप्ती नदी में सैकड़ों कुंड एवं जल प्रताप के साथ डोह है जिसे कि लंबी खाट में बुनी जाने वाली रस्सी को डालने के बाद भी नापा नहीं जा सका है। ताप्ती के मुल्ताई में ही 7 कुंड है-सूर्यकुण्ड, ताप्ती कुण्ड, धर्म कुण्ड, पाप कुण्ड, नारद कुण्ड, शनि कुण्ड, नागा बाबा कुण्ड।