गुजरात के गणेश बरैया : जज्बे को सलाम! विश्व के सबसे छोटे 3 फीट डॉक्टर की प्रेरणादायक कहानी

गुजरात के गणेश बरैया : जज्बे को सलाम! विश्व के सबसे छोटे 3 फीट डॉक्टर की प्रेरणादायक कहानी
Shubham Pandey JHBNEWS टीम,सूरत 2025-03-24 15:53:47

दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को साकार करते हैं और इतिहास रचते हैं। गुजरात के गणेश बरैया भी ऐसे ही एक शख्स हैं, जिन्होंने अपनी शारीरिक चुनौतियों के बावजूद डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया। मात्र 3 फीट कद और 18 किलोग्राम वजन वाले गणेश आज दुनिया के सबसे छोटे डॉक्टर के रूप में पहचाने जा रहे हैं। उनकी यह सफलता दिखाती है कि अगर आत्मविश्वास और मेहनत का साथ हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

गणेश बरैया का जन्म गुजरात के तलाजा तालुका में हुआ था। बचपन से ही उन्हें कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। चार साल की उम्र में उनके माता-पिता ने देखा कि उनका सिर शरीर की तुलना में तेजी से बढ़ रहा था। डॉक्टरों ने इसे लाइलाज बीमारी बताया। गणेश की मां ने उनके सिर को संभालने के लिए एक विशेष हेलमेट पहनाया, ताकि उनके शरीर का संतुलन बना रहे। स्कूल में बच्चे उनके कद और सिर के आकार को लेकर उनका मजाक उड़ाते थे, लेकिन गणेश ने पढ़ाई में ध्यान लगाकर खुद को साबित किया। उनके पिता विट्ठल भाई किसान थे, जो रोजाना 200 रुपये कमाते थे। एक बार उन्हें गणेश को सर्कस में जोकर बनाने के लिए 1 लाख रुपये का प्रस्ताव मिला, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया और अपने बेटे को शिक्षा दिलाने का फैसला किया।


गणेश का सपना था कि वे डॉक्टर बनें। उन्होंने मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास कर ली, लेकिन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनके छोटे कद के कारण उनका आवेदन खारिज कर दिया। इससे वे निराश जरूर हुए, लेकिन हार नहीं मानी। उन्होंने अपने स्कूल के प्रिंसिपल की मदद से जिला कलेक्टर, राज्य शिक्षा मंत्री और गुजरात हाई कोर्ट तक गुहार लगाई। जब कहीं से मदद नहीं मिली तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया और 2019 में उन्हें मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिल गया।


गणेश ने अपनी मेडिकल पढ़ाई पूरी कर भवनगर के सर-टी अस्पताल में इंटर्नशिप की। आज वे एक डॉक्टर के रूप में मरीजों की सेवा कर रहे हैं। शुरुआत में मरीज उनके छोटे कद को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं, लेकिन उनकी काबिलियत और ज्ञान देखकर वे सहज महसूस करने लगते हैं। गणेश का कहना है कि तीन साल पहले वे निराश थे, लेकिन उन्होंने संघर्ष जारी रखा और अब अपने सपने को साकार कर रहे हैं।

हालांकि, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अभी उनका नाम दर्ज नहीं हुआ है, लेकिन उन्हें दुनिया के सबसे छोटे डॉक्टर के रूप में पहचान मिल रही है। गणेश का कहना है, "मैं अलग जरूर हूं, लेकिन अपने माता-पिता को गर्व महसूस कराने के लिए एक अच्छा जीवन जीना चाहता हूं।" उनकी यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो कठिनाइयों से घबराकर अपने सपनों से समझौता कर लेते हैं। गणेश ने दिखा दिया कि सच्ची मेहनत और हौसले के आगे कोई भी बाधा टिक नहीं सकती।