Maha Kumbh Stampede: कुंभ में हादसों का इतिहास, जानिए 1954 से लेकर अभी तक कब-कब मची भगदड़

देश की आजादी के बाद वर्ष (3 फरवरी) 1954 के कुंभ में भी भगदड़ हुई थी। उस मेले में मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी बांध पर मची भगदड़ में सैकड़ों श्रद्धालुओं को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। मेला प्रशासन ने घटना को छिपाने का पूरा प्रयास किया था
कुंभ मेले में हादसे कोई नई बात नहीं हैं। 1954 से लेकर 2025 तक हर महाकुंभ में किसी न किसी घटना के कारण लोग मरे है भारत में पहला महाकुम्भ 13 जनवरी 1954 में स्वतंत्रता के बाद पहली बार प्रयागराज में कुंभ मेला आयोजित हुआ। प्रशासनिक अनुभव की कमी के कारण 3 फरवरी को मौनी अमावस्या पर भारी भीड़ में भगदड़ मच गई, जिसमें लगभग 800 लोगों की मृत्यु हो गई। इसके बाद 1986, 2003 और 2010 में भी अलग-अलग कुंभ मेलों के दौरान भगदड़ की घटनाएं हुईं।
1986 में हरिद्वार कुंभ मेले के दौरान भगदड़ मच गई, जिसमें लगभग 200 लोगों की मौत हुई। रिपोर्ट के अनुसार, 14 अप्रैल को तत्कालीन यूपी सीएम वीर बहादुर सिंह और अन्य नेताओं के आगमन के कारण आम लोगों की भीड़ तट पर नहीं पहुंच सकी, जिससे अफरा-तफरी मच गई।
2003 में नासिक कुंभ मेले में भगदड़ मच गई, जिसमें 39 तीर्थयात्रियों की मौत हुई और 100 से अधिक लोग घायल हुए। यह हादसा बेहद दुखद था और लाखों लोगों को झकझोर कर रख दिया।
2010 में हरिद्वार कुंभ मेले के दौरान 14 अप्रैल को शाही स्नान के समय साधुओं और श्रद्धालुओं के बीच झड़प के बाद भगदड़ मच गई। इस घटना में 7 लोगों की मौत हुई और 15 घायल हो गए।
महाराष्ट्र के नासिक कुंभ के 10 साल बाद 2013 के प्रयागराज कुंभ में एक बार फिर हादसा हुआ. लेकिन इस बार ये हादसा इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर हुआ था. इस हादसे में 42 लोगों की मौत हो गई थी.
2013 के बाद भगदड़ की घटना 2025 में हुई है. जहां अबतक प्रशासन ने 10 लोगों की मृत्यु की आशंका जताई है. मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि अफवाह के कारण भगदड़ हुई इसमें 17 श्रद्धालुओं की मौत हुई है। 50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं। सभी को महाकुंभ नगर के केंद्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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