Mahakumbh 2025: महाकुंभ और अमृत कुंभ के बीच क्या संबंध है? जाने शाही स्नान की तिथि

हिंदू धर्म में कुंभ मेले का विशेष और आध्यात्मिक महत्व है. यह पर्व लाखों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है तथा सनातन संस्कृति की महानता को दर्शाता है। महाकुंभ मेले की उत्पत्ति की कहानी देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से जुड़ी है। पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान अमृत कुंभ के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ था।
इस संघर्ष को रोकने और अमृत की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया। उन्होंने अमृत कलश को सुरक्षित रखने के लिए इंद्रदेव के पुत्र जयंत को सौंप दिया। जयन्त अमृतकुम्भ (Amrit Kumbh) लेकर आकाश मार्ग से चला गया, परन्तु राक्षसों ने उसका पीछा किया। इस बीच अमृत की कुछ बूँदें प्रयागराज में गंगा-यमुना-सरस्वती, हरद्वार में गंगा, उज्जैन में क्षिप्रा और नासिक में गोदावरी के संगम पर गिरीं। तभी से इन स्थानों पर कुंभ मेले की परंपरा शुरू हुई। साल 2025 में यह महापर्व 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा.
कुंभ मेला हर तीन साल में आयोजित किया जाता है। अर्धकुंभ मेला हर 6 साल में आयोजित किया जाता है। हर 12 साल में महाकुंभ का आयोजन होता है। वर्ष 2025 में प्रयागराज में महाकुंभ (Mahakumbh) का आयोजन होगा। इसके अलावा हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में भी कुंभ का आयोजन होता है। कुंभ पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस मेले में बड़ी संख्या में साधु-संत, श्रद्धालु और पर्यटक भाग लेते हैं।
महाकुंभ 2025 शाही स्नान की तारीखें
- 13 जनवरी 2025 - पौष पूर्णिमा
- 14 जनवरी 2025 - मकर संक्रांति
- 29 जनवरी 2025 - मौनी अमावस्या
- 3 फरवरी 2025 - वसंत पंचमी
- 4 फरवरी 2025 - अचला नवमी
- 12 फरवरी 2025 - महा पूर्णिमा
- 26 फरवरी 2025 - महाशिवरात्रि
देवगुरु गुरु की गति का महत्व
जब बृहस्पति वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होता है तब कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में होता है। नासिक में कुम्भ मेला तब आयोजित होता है जब बृहस्पति और सूर्य सिंह राशि में होते हैं। उज्जैन में कुम्भ मेले का आयोजन तब होता है जब बृहस्पति सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि में होता है। हरिद्वार में कुंभ मेला तब आयोजित होता है जब सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में होता है।
कुम्भ स्नान का महत्व
हिंदू धर्मग्रंथों में कुंभ स्नान के महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है। ऐसा माना जाता है कि कुंभ में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा कुंभ मेला आध्यात्मिक ज्ञान, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सामाजिक सद्भाव का भी प्रतीक है। यहां कई आध्यात्मिक और धार्मिक सभाएं आयोजित की जाती हैं, जिनमें ऋषियों के व्याख्यान, योग साधना और विभिन्न अनुष्ठान शामिल हैं।
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